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1.समाचार लेखन
सम्पादनबजट 2024-25
23 जुलाई 2024 - संसद भवन नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना सातवां लगातार बजट पेश किया, जिससे उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
बजट पेश करते हुए, सुश्री सीतारमण ने कहा कि वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती को वित्त वर्ष 2025 में नई आयकर व्यवस्था के तहत ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया जाएगा। केंद्रीय बजट 2024-25 में पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए नौ प्राथमिकताओं की पहचान की गई है - कृषि में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार और कौशल, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवा, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, नवाचार, अनुसंधान और विकास और अगली पीढ़ी के सुधार।
- नए टैक्स स्लैब की विवरणी*
- *₹3 लाख तक*: कोई टैक्स नहीं - *₹3 लाख - ₹7 लाख*: 5% - *₹7 लाख - ₹10 लाख*: 10% - *₹10 लाख - ₹12 लाख*: 15% - *₹12 लाख - ₹15 लाख*: 20% - *₹15 लाख से अधिक*: 30%
इसके अलावा, नए रेजिम में मानक कटौती को ₹75,000 तक बढ़ा दिया गया है, और परिवार पेंशन कटौती को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है ।
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3.साहित्यिक लेखन
सम्पादनयात्रा वृतांत: मथुरा और वृन्दावन
मेरा और मेरे अच्छे दोस्त आयुष उइके का मथुरा और वृन्दावन जाने का सपना काफी समय से था। हम दोनों बचपन से ही भगवती श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त रहे हैं, और उनके जन्मस्थान की यात्रा करने का मन हमेशा से कर रहा था। संयोगवश, एक सप्ताहांत पर हमने निर्णय लिया कि इस बार हम मथुरा और वृन्दावन की यात्रा करेंगे।
- यात्रा की तैयारी
हमने अपनी यात्रा की सभी योजनाएँ बनाई। मैंने ट्रेन की टिकटें बुक कीं, और आयुष ने होटल को लेकर शोध किया। जब यात्रा का दिन आया, हम सुबह के समय तैयार होकर स्टेशन पहुँच गए। ट्रेन में जाने के दौरान हम उसकी रौनक और माहौल को महसूस कर रहे थे; हमारी मथुरा की यात्रा सच में होने जा रही थी।
- मथुरा की सुबह
जब हम मथुरा पहुँचते हैं, तो सुबह की ठंडी हवा हमारे चेहरे पर महसूस होती है। हम स्टेशन से बाहर निकलते हैं और एक ऑटो रिक्शा बुक करते हैं जो हमें कृष्ण जन्मभूमि ले जाता है। वहाँ की भीड़ और भक्तों की संजीवनी भक्ति, जो हर ओर फैली हुई थी, हमें अपने भीतर एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव कराती है।
कृष्ण जन्मभूमि का परिसर एक आध्यात्मिक वातावरण से परिपूर्ण था। हम वहाँ पहुँचते ही भगवान श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप की मूर्ति के दर्शन करने के लिए आगे बढ़ते हैं। आयुष की आँखों में भक्ति का भाव साफ झलकता है। हम दोनों ने अपने सिर झुकाए और भगवान से प्रार्थना की।
- उत्सव का माहौल
जन्मभूमि के पास एक बड़ा उत्सव चल रहा था। वहाँ लोग विभिन्न नृत्य और गायन के कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे। हम भी संगठन के सदस्यों के साथ जुड़ गए और वहाँ का आनंद लेने लगे। आयुष ने कुछ तस्वीरें ली, और हम दोनों ने उन पलों को कैद किया।
इसके बाद, हमने मथुरा के कुछ अन्य प्रसिद्ध स्थलों का भी भ्रमण करने का निर्णय लिया। दाऊजी मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर – हर एक स्थान का अपना अद्भुत महत्व था। हम जहाँ भी जाते, वहाँ की भक्ति ने हमें और अधिक प्रेरित किया।
- वृन्दावन की ओर
मथुरा के मंदिरों का भ्रमण करने के बाद, हमने वृन्दावन की ओर निकलने का निश्चय किया। हम एक ऑटो में बैठकर वहाँ पहुँच गए। वृन्दावन का वातावरण और भी शांत था। यहाँ की गली-गली में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ गूंजती थीं।
वृन्दावन में पहुँचते ही, हमने सबसे पहले राधा-कृष्ण मंदिर का दर्शन करने का फैसला किया। मंदिर की सुंदरता और भक्तों की भक्ति अद्भुत थी। हमने अपनी आँखें बंद कीं और वहाँ की आध्यात्मिकता को आत्मसात किया। आयुष ने वहाँ आई भक्ताओं के साथ बातचीत की और उन्होंने हमें वृन्दावन के लोकल रीति-रिवाजों के बारे में बताया।
- घाटों की सैर
उसके बाद, हम गोवर्धन और राधा कुंड की ओर बढ़े। यहाँ के घाटों पर बैठकर हमने कुछ समय बिताया। वहाँ का शांत वातावरण और नदी की लहरें मन को शांति देती हैं। हम दोनों ने मिलकर जड़ी-बूटियों की चाय पी और वार्तालाप किया।
"तू जानता है, यह स्थान सच में अद्भुत है," आयुष ने कहा। "यहाँ की हर गली में श्रीकृष्ण की कहानी बसी है।"
"हाँ, यह सच है। हम वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हम यहाँ हैं," मैंने कहा।
- रंग महल
इसके बाद, हम रंग महल की ओर बढ़े। रंग महल की कलाकारी और वास्तुकला हमें बहुत भायी। वहाँ की सजावट और दूधिया रोशनी ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। हम दोनों ने वहाँ तस्वीरें खींचीं, और साथ ही, हमने कुछ पारंपरिक मिठाइयाँ भी खरीदीं।
- ध्यान और भक्ति का अनुभव
उस शाम, हमने एक सुंदर स्थान पर ध्यान करने का निर्णय लिया। हम एक पेड़ के नीचे बैठकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। इस पल ने हमें अपने भीतर की गहराईयों तक पहुँचाया। आयुष ने आँखें बंद करके कुछ क्षण ध्यान किया, और उसकी चेहरे की शांति सब कुछ कह गई।
- अंत में
जब हमारी यात्रा समाप्त हो रही थी, हमने मथुरा और वृन्दावन की संस्कृति को अपने मन में समेट लिया। हमने अद्भुत स्थानों का दर्शन किया, भक्ति में लीन हुए और कई अनमोल यादें अपने साथ लेकर वापस लौटे।
इस यात्रा ने हमें न केवल भगवान श्रीकृष्ण के करीब लाया, बल्कि हमारी मित्रता को और भी मजबूत किया। हम दोनों ने यह संकल्प लिया कि अगली बार हम इस अद्भुत स्थान पर और अधिक समय बिताएँगे। मथुरा और वृन्दावन की यह यात्रा मेरे जीवन की अविस्मरणीय यात्राओं में से एक बन गई, जो निश्चित रूप से मेरे दिल में हमेशा जीवित रहेगी।