1.समाचार लेखन

पेरिस पैरालंपिक 2024: भारत का ऐतिहासिक अभियान

पेरिस में आयोजित 2024 पैरालंपिक खेलों में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय पैरा-एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक जीते, जिसमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक शामिल हैं। यह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ पैरालंपिक प्रदर्शन है, जिससे देश का खेल जगत गौरवान्वित हुआ है।

इससे पहले, टोक्यो 2020 में भारत ने 19 पदक जीते थे। पेरिस में भारतीय खिलाड़ियों ने इस प्रदर्शन को और बेहतर किया है। अवनी लेखरा ने शूटिंग स्पर्धा में दो स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग (एसएच1) और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन (एसएच1) स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता।

एथलेटिक्स में भी भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। धरमबीर ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो एफ57 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। परनव सूरमा ने पुरुषों की क्लब थ्रो एफ53 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और विश्व रिकॉर्ड तोड़ा।

भारतीय पैरा-शटलर मनिका भट्टचारजी ने भी शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने महिला एकल एसएल3-एसएल5 स्पर्धा में रजत पदक जीता। इसके अलावा, भारतीय पैरा-बैडमिंटन टीम ने भी कई पदक जीते।

इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे भारतीय पैरा-एथलीटों का कठिन परिश्रम, समर्पण और दृढ़ संकल्प है। उनके इस शानदार प्रदर्शन ने देश को एक नई ऊर्जा दी है और पैरा-खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है। भारत के पैरा-खेलों का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है और आने वाले वर्षों में और भी अधिक सफलता की उम्मीद है।

2.विज्ञापन लेखन

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3.साहित्य लेखन

एक सपना, एक संघर्ष

एक छोटे से गांव में रहने वाला रामू बचपन से ही पढ़ाई में तेज था। लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी। उसके माता-पिता मेहनतकश किसान थे, जो दिन-रात मेहनत करते थे, फिर भी घर का खर्च चलाना मुश्किल होता था।

रामू के मन में एक सपना था - डॉक्टर बनने का। वह गांव के लोगों को बीमारियों से बचाना चाहता था। लेकिन उसके सपने के बीच में आर्थिक तंगी की दीवार खड़ी थी। गांव में स्कूल तक पहुंचना तो दूर, कोचिंग और महंगे किताबें खरीदना तो सपने जैसा लगता था।

लेकिन रामू हार नहीं माना। उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी, रात-दिन मेहनत की। वह दिन में खेतों में काम करता और रात में पढ़ाई करता। गांव के पुस्तकालय में जाकर किताबें पढ़ता और उनसे ज्ञान अर्जित करता।

एक दिन, गांव में एक शिक्षक आए। उन्होंने रामू की प्रतिभा देखी और उसकी मदद करने का फैसला किया। उन्होंने रामू को अपनी पुस्तकें दीं और उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। शिक्षक ने रामू को एक स्कॉलरशिप दिलाने में भी मदद की, जिससे उसे शहर में पढ़ने का मौका मिला।

शहर में रहकर रामू ने कड़ी मेहनत की। उसने अपने सपने को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया। अंत में, उसकी मेहनत रंग लाई और वह एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने में सफल रहा।

आज, डॉक्टर रामू अपने गांव का गौरव हैं। वह अपने गांव में एक क्लिनिक चलाते हैं और गरीब लोगों को मुफ्त इलाज करते हैं। वह अपने सपने को साकार करने के साथ-साथ दूसरों के सपनों को भी साकार करने में मदद कर रहे हैं।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सपने देखने से कभी डरना नहीं चाहिए। कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ हर सपना साकार हो सकता है। हमें अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना चाहिए और बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।