प्रयोजनमूलक हिंदी (Functional Hindi) हिंदी भाषा का ऐसा रूप है जो विशिष्ट प्रयोजन या उद्देश्य को ध्यान में रखकर व्यवहार में लाया जाता है। सामान्यतया सामाजिक व्यवहार में भाषा का आरंभिक उद्देश्य संप्रेषण माना जाता है। इसी सामाजिक व्यवहार में जब विशिष्ट प्रयोजन के परिप्रेक्ष्य में विशिष्ट भाषा का प्रयोग किया जाता है तब उसे "प्रयोजनमूलक भाषा" कहा जा सकता है। प्रयोजनमूलक भाषा में प्रयोजन को जीविकोपार्जन के साधन के तौर पर समझा जा सकता है। इस पाठ्यक्रम में हम चार इकाइयों में विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से "प्रयोजनमूलक हिंदी" को समझने का प्रयास करेंगे।

तैयारी

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यह स्नातक स्तर के छठवें सेमेस्टर का पाठ्यक्रम है। सीखने वाले को भाषा संबंधी परिचयात्मक अवधारणाओं से परिचित होना चाहिए।

  • इकाई—1
  1. प्रयोजनमूलक हिंदी : स्वरूप और अवधारणा
  2. प्रयोगात्मक क्षेत्र
  3. कार्यालयी हिंदी और उसके प्रमुख लक्षण
  • इकाई—2
  1. हिंदी की शैलियाँ : हिंदी, उर्दू और हिंदुस्तानी
  2. हिंदी के प्रयोग क्षेत्र : भाषा प्रयुक्ति की संकल्पना, वार्ता प्रकार और शैली
  • इकाई—3
  1. वैज्ञानिक हिंदी और उसके प्रमुख लक्षण
  2. व्यावसायिक हिंदी और उसके प्रमुख लक्षण
  3. संचार माध्यम : आकाशवाणी, चलचित्र, दूरदर्शन और उसके प्रमुख लक्षण
  • इकाई—4
  1. भाषा व्यवहार : सरकारी पत्राचार
  2. टिप्पणी तथा मसौदा लेखन
  3. सरकारी अथवा व्यावसायिक पत्र-लेखन
  4. हिंदी में पारिभाषिक शब्द निर्माण प्रक्रिया एवं प्रस्तुति

सहायक सामग्री

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