न्यायालयिक विज्ञान/न्यायालयिक नृविज्ञान

न्यायालयिक नृविज्ञान एक विज्ञान का विषय है जिस में मनुष्य जाती के बारे में अध्ययन किया जाता है। न्यायालयिक नृविज्ञान के साथ ही न्यायालयिक पुरातत्व और न्यायालयिक ताफोनोमी भी आते हैं। नृविज्ञान का अर्थ है मनुष्य जाति का विज्ञान। न्यायालयिक मानवविज्ञानी मानव अवशेष की पहचान करने में सहायता करता है। किसी अपराधिक जगह या किसी भी जगह कोई अनजान मानव अवशेष मिलता है तो उसकी जाच की जाती है कि वो कोन है और कहा से आया है। बस इतना ही नहीं मानव अवशेष का विश्लेषण कर के यह भी पता लगया जा सकता है कि उसकी मृत्यु कब, कहा और केसे हुए होगी। मानवविज्ञानी का काम है उस अनजान व्यक्ति की पहचान करना, प्राप्त हुए मानव अवशेष से। अनजान मानव अवशेष जैसे हड्डियों या कंकाल की पहचान करने के लिए कई विधि का उपयुग किया जाता है।

१९९३ में श्राबेरेनिका नरसंहार के पीड़ितों के शव निकाले गए निकायों ने २००७ में

विश्लेषण

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लिंग का पता लगाना

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  • मनुष्य के श्रोणि की हड्डियों से लिंग का पता लगया जा सकता है।
  • खोपड़ी से भी लिंग का पता लगया जा सकता है उसकी जाच कर के। जैसे पुरुष की खोपड़ी महिला से बड़ी होतो है।

उम्र का पता लगाना

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  • २१ वर्ष से कम उम्र के बच्चों की उम्र के निर्धारण, आमतौर पर दांतों की जांच के द्वारा किया जा सकता है
  • जब दाँत उपलब्ध नहीं होते हैं, तो बच्चों को वृद्ध करने के लिए विश्लेषण किया जाता है विकास प्लेटें कब तक सील होती हैं।

कद का पता लगाना

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कद का पता लगाने में ३ हड्डीयों का विश्लेषण किया जाता है- फिमर, टिबिया, और फेबोला।

  • कद के आकलन के लिए पुरुष सूत्र है- जांध(फिमर) की हड्डी २.३२ × जांध (फिमर) की लंबाई + ६५.५३ ± ३.९४ सेमी
  • कद के आकलन के लिए स्री सूत्र है- जांध(फिमर) की हड्डी २.४७ × जांध (फिमर) की लंबाई + ५४.१० ± ३.७२ सेमी