नाभिकीय विज्ञान/रेडियोधर्मिता
रेडियोधर्मी प्रक्रियाओं में, कणों या विद्युत चुम्बकीय रेडिएशन नाभिक से उत्सर्जित होते हैं। उत्सर्जित रेडिएशन के सबसे सामान्य रूपों को अल्फा (α), बीटा (β), और गामा (γ) रेडिएशन में वर्गीकृत किया गया है। परमाणु रेडिएशन अन्य रूपों में होते है जिसमें प्रोटॉन या न्यूट्रॉन के उत्सर्जन या बड़े पैमाने पर नाभिक के सहज विखंडन (fission) शामिल है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले अधिकतर तत्वो के नाभिक स्थिर होते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी अल्पकालिक रेडियोधर्मी नाभिक पृथ्वी के इतिहास के दौरान क्षय हो गए हैं। पृथ्वी पर पाये जाने वाले तत्वो में लगभग 270 स्थिर आइसोटोप (isotopes) और 50 प्राकृतिक रूप से होने वाली रेडियोइसोप्टेक्स (रेडियोधर्मी आइसोटोप) हैं। अन्य हजारों रेडियोइसोप्टेक्स प्रयोगशाला में भी बनाए जा चुके हैं।
रेडियोधर्मी क्षय एक नाभिक को दूसरे नाभिक में बदल देता है यदि उत्पादित नाभिक की भी बंधन ऊर्जा (Binding energy) अधिक है तो उसके नाभिक का भी क्षय है। बंधन ऊर्जा में अंतर (पहले और बाद की अवस्थाओं की तुलना) यह निर्धारित करता है कि कौन सा क्षय संभव है और कौन सा नहीं हैं। यदि कोई अतिरिक्त बंधन ऊर्जा होती है तो वह गतिज ऊर्जा या क्षय ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है। चित्र आइसोटोप (isotopes) टेबिल में आप देख सकते है क्षय के प्रकार। स्थिर नाभिक की तुलना में यदि किसी नाभिक में प्रोटॉन या न्यूट्रॉन अतिरिक्त है तो वह नाभिक प्रोटॉन को न्यूटन या न्यूट्रॉन को प्रोटॉन में बदलकर स्थिर नाभिक बनेगा।