जीवाणु विज्ञान
जीवाणु सूक्ष्म सजीव अणु होते है। उनको केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। वे मनुष्य में कई बिमारियाँ पैदा करते हैं। बिमारियाँ उत्पन्न करने वाले जिवाणुओं को रोगाणु कहते है। जीवाणु विभिन्न स्थानों पर पाए जाते है जैसे-- पानी में, भोजन में, वायु में, मिट्टी में आदि। जिन स्थानों पर जीवाणुओं को आक्सीजन, भोजन और नमी मिलती है, वे वहाँ पर अधिक पनपते हैं। कई जीवाणु मानव के लिए लाभदायक भी होते है। मुख्य रूप से जीवाणु चार प्रकार के होते हैः-
जीवाणु (बैक्टीरिया)
सम्पादनये क्लोरोफिल रहित एक कोशिका वाले जीव होते हैं। उनके भिन्न-भिन्न आकार होते हैं। उनसे मियादी बुखार, तपेदिक और निमोनिया जैसी बिमारियाँ होती हैं।
परजीवी(प्रोटोजोआ)
सम्पादनये एक कोशिका वाले जीव होते हैं। इनसें मलेरिया और पेचिश जैसे रोग होते हैं।
विषाणु(वायरस)
सम्पादनये जीवाणु बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं। इनसे चेचक, फ्लू, पोलियों और जुकाम जैसे रोग होते हैं। वायरस को सजीव और निर्जीव का कड़ी माना जाता है क्योंकि यह मनुष्य के शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद सजीव के जैसा कार्य करता है जबकि वातावरण में या निर्जीव के जैसा रहता है।
फफूँद(फंगस)
सम्पादनयें सूक्ष्म पौधे होते हैं जो सड़े-गले पदार्थों पर पैदा होते है। यें दाद, एथ्लीट्स फुट आदि बीमारियों को पैदा करते हैं।
लाभदायक जीवाणुओं के उपयोग
सम्पादन१. कुछ बैक्टीरिया टेरामाइसिन और पेनिसिलीन आदि प्रतिजीवी औषधियाँ बनाने के काम आते हैं।
२. फफूँदी का प्रयोग हम इडली, केक और ब्रेड बनाने के लिए करते हैं।
३. कुछ बैक्टीरिया भूमि को उपजाऊ बनाते है।
४. कुछ बैक्टीरिया शर्करा को ऐल्कोहाॅल में बदल देते हैँ।
५. कुछ बैक्टीरिया दूध को दही में बदल देते है। इस क्रिया को किण्वन क्रिया कहते है।
संदर्भ
सम्पादन१.पशु-चिकित्सा: जीवाणु एवं विषाणु-विज्ञान (उत्तरार्द्ध)--आई.ए मर्चेंट